सोमवार, 23 जनवरी 2023

Type of GST Return


Type of GST Return

क्या आप जानते है टेली प्राईम में कीतने टाईप के रीटर्न (Type of GST Return) होते है? जैसे की GSTR1, GSTR2 GSTR3B  इन जीसटी के Type of GST Return जानने में यह लेख आपको बहुत मदद रूप होने वाला है। तो आईये यह जानते है की जीएसटी में Type of GST Return कीतनी तरह के होते है?

Type of GST Return


जीएसटी में कई तरह के रिटर्न होते हैं। जो जीएसटी नंबर जीसके पास है उन्हे इस रिटर्न को समय समय पर भरने होते है। जो नीचे दीये गए है।

1. GSTR-1: यह रिटर्न उसे भरना होता है जीसका वार्षिक टन ओवर 1.5 करोड तक होता है। जीसमे बीजनस में हुए सभी सेल्स ट्रान्झेकसन का रेकोड होता है। GSTR-1 को मासीक या त्रीमासीक भरना होता है।

2. GSTR-2: यह रिटर्न भी उसे ही भरना है जीसका सालाना टन ओवर 1.5 करोड तक है। इस रीटर्न में एक नीश्र्चित समय सीमा में की गई खरीदी का ब्योरा होता है।

3. GSTR-3: यह रिटर्न 1.5 करोड़ तक के वार्षिक कारोबार वाले व्यवसायों द्वारा दायर किया जाता है। जीसमे खरीद, बीर्की और टेक्ष पेमेन्ट का ब्योरा होता है। यह रीटर्न एक महीना ओर बीस दीन में भरना रहता है।

4. GSTR-4: यह रिटर्न कंपोजिशन डीलर्स द्वारा फाइल किया जाता है, जो GST के तहत कंपोजिशन स्कीम के लिए पात्र हैं।

5. GSTR-5: यह रिटर्न अनिवासी कर योग्य व्यक्तियों द्वारा दायर किया जाता है और इसमें दी गई कर अवधि के दौरान की गई सभी बाहरी आपूर्तियों का विवरण होता है। यह रीटर्न भी एक महीना और 20 दिन में भरना रहता है।

6. GSTR-6: यह रिटर्न इनपुट सर्विस डिस्ट्रीब्यूटर्स द्वारा फाइल किया जाता है और इसमें एक निश्चित कर अवधि के दौरान प्राप्त सभी आवक आपूर्तियों का विवरण होता है।

7. GSTR-7: यह रिटर्न कर कटौतीकर्ताओं द्वारा दायर किया जाता है और इसमें एक निश्चित कर अवधि के दौरान काटे गए सभी TDS का विवरण होता है।

8. GSTR-8: यह रिटर्न ई-कॉमर्स ऑपरेटरों द्वारा दायर किया जाता है और इसमें दी गई कर अवधि के दौरान उनके प्लेटफॉर्म के माध्यम से की गई सभी आपूर्तियों का विवरण होता है।

9. GSTR-9: यह रिटर्न 2 करोड़ तक के वार्षिक कारोबार वाले व्यवसायों द्वारा दायर किया जाता है। इसमें किए गए सभी बाहरी आपूर्तियों, प्राप्त आवक आपूर्तियों, इनपुट टैक्स क्रेडिट का दावा किया और दिए गए वित्तीय वर्ष के दौरान भुगतान किए गए कर का विवरण शामिल होता है।

10. GSTR-9C: यह रिटर्न GSTR-9 और ऑडिट किए गए वित्तीय विवरण के बीच एक समाधान विवरण है।

जीएसटी रिटर्न आम तौर पर मासिक या त्रैमासिक आधार पर दायर किया जाता है, जो व्यवसाय के टर्नओवर और दाखिल किए जाने वाले रिटर्न के प्रकार पर निर्भर करता है।

11. GSTR-10: यह रिटर्न उस को भरना है जीसने अपना रजीस्ट्रेशन सरेन्डर या केन्सल कीया हो। जीस दीन से रजीस्ट्रेशन को केन्सर या सरेन्डर कीया हो उस दीन से त्रीन महिनो के भीतर भरना होता है।

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जीएसटी रिटर्न का उपयोग  कैसे कर शकते है?

नीचे दी गई चीजो के लीये GST रिटर्न का उपयोग होता हैं:

1. Compliance: जीएसटी रिटर्न व्यवसायों के लिए सरकार को उनकी कर देयता और भुगतान की रिपोर्ट करके जीएसटी कानूनों और विनियमों का पालन करने का एक साधन है।

2 Tax calculation: जीएसटी रिटर्न का उपयोग किसी कर अवधि के लिए किसी व्यवसाय की कर देयता की गणना के लिए किया जाता है। इसमें इनपुट टैक्स क्रेडिट की गणना शामिल है, जिसे इनपुट या कच्चे माल पर भुगतान किए गए जीएसटी के खिलाफ दावा किया जा सकता है।

3. Tax payment: जीएसटी रिटर्न का उपयोग सरकार को कर भुगतान करने के लिए किया जाता है। व्यवसाय किसी भी अतिरिक्त कर भुगतान के लिए रिफंड का दावा करने के लिए जीएसटी रिटर्न का उपयोग कर सकते हैं।

4. Transparency: के लिए: जीएसटी रिटर्न सरकार को वस्तुओं और सेवाओं के प्रवाह को ट्रैक करने और जीएसटी कानूनों और विनियमों के Compliance की निगरानी करने की अनुमति देकर जीएसटी प्रणाली में पारदर्शिता प्रदान करने के लिए कीया जाता है।

5. Record Keeping:  जीएसटी रिटर्न एक व्यवसाय द्वारा किए गए लेनदेन का रिकॉर्ड है और इसका उपयोग जीएसटी अनुपालन के रिकॉर्ड को बनाए रखने के लिए किया जाता है, जिसे 6 साल की अवधि के लिए रखना आवश्यक है।

6. Audit: जीएसटी रिटर्न का उपयोग सरकार द्वारा ऑडिट के उद्देश्य से किया जाता है और व्यवसाय के लिए भी उनकी पुस्तकों का रीकनसीलींग किया जाता है।

7. Avail Input Tax Credit: जीएसटी रिटर्न का उपयोग इनपुट और इनपुट सेवाओं पर payment किए गए जीएसटी पर इनपुट टैक्स क्रेडिट का दावा करने के लिए किया जाता है जो बदले में ओवरओल टेक्स लायाबिलिटी को कम करता है।

जीएसटी रिटर्न कैसे फाइल करें

भारत में GST रिटर्न दाखिल करने में कई स्टेज हैं, जो नीचे दीए गए है।

1. Invoice Collection: टेक्स अवधि के लिए सभी चालान और अन्य प्रासंगिक दस्तावेज एकत्र करें, जिसके लिए आप रिटर्न दाखिल कर रहे हैं।

2. Keeping records of transactions: सरकार द्वारा दीए गए जीएसटी सॉफ्टवेयर या पोर्टल में बिक्री और खरीद सहित सभी लेनदेन रिकॉर्ड करें।

3. Computation of GST Liability: उपलब्ध इनपुट टैक्स क्रेडिट और बिक्री और खरीद पर भुगतान किए गए कर को ध्यान में रखते हुए टेक्स अवधि के लिए जीएसटी पेमेन्ट की गणना करें।

4. Filing of GST Return: अपने जीएसटीआईएन और संबंधित रिटर्न फॉर्म का उपयोग करके जीएसटी पोर्टल पर लॉग इन करें।

5. Filling Details: रिटर्न फॉर्म में बिक्री और खरीद, और जीएसटी payment सहित अपने लेन-देन का detail भरें।

6. Invoice Uploading: यदि आवश्यक हो तो चालान और अन्य प्रासंगिक दस्तावेज अपलोड करें।

7. Payment करना: Payment के ऑनलाइन मोड का उपयोग करके जीएसटी पोर्टल के माध्यम से जीएसटी payment कर शकते है

8. Generating E way bill: यदि आपको अपनी consignments के लिए ई-वे बिल जनरेट करने की आवश्यकता है, तो आप इसे जीएसटी पोर्टल से ही कर सकते हैं।

9. Submitting the return: रिटर्न फॉर्म जमा करें और पावती की प्रतीक्षा करें।

10. Keep the record of the return: ऑडिट और compliance उद्देश्यों के लिए 6 साल की अवधि के लिए रिटर्न का रिकॉर्ड रखें।

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि जीएसटी रिटर्न दाखिल करने की प्रक्रिया पूरी तरह से ऑनलाइन है और सभी व्यवसायों के लिए जीएसटी रिटर्न दाखिल करना अनिवार्य है, भले ही उस महीने में कोई लेनदेन न हुआ हो।

जीएसटी रिटर्न फाइल नहीं करने पर पेनाल्टी

यदि कोई व्यवसाय दी गई तारीख के भीतर GST रिटर्न दाखिल नही करता है, तो कई दंड लगाए जा सकते हैं

1. Late Fee: Due Date से शुरू करते हुए, देरी होने पर प्रत्येक दिन के लिए late fee लगायी जा सकती है। late fee 200 रुपये प्रति दिन तक हो सकता है।  यह दाखिल किए जा रहे रिटर्न के प्रकार और व्यवसाय के टर्नओवर पर निर्भर करता है।

2. Interest: Due tax पर ब्याज लगाया जा सकता है, जिसकी गणना रिटर्न की due date से payment की तारीख तक की जाती है। ब्याज दर 18% प्रति वर्ष है।

3. Prosecution: इरादतन चूक या धोखाधड़ी के मामले में, व्यवसाय Prosecution के लिए उत्तरदायी हो सकता है, जिसके परिणामस्वरूप जेल और जुर्माना हो सकता है।

4. Cancellation of registration: बार-बार compliance न करने की स्थिति में, सरकार व्यवसाय का जीएसटी पंजीकरण रद्द कर सकती है, जिसके परिणामस्वरूप व्यवसाय को आगे कोई भी जीएसटी लेनदेन करने से रोक दिया जा सकता है।

5. Disallowance of ITC: यदि कोई पंजीकृत व्यक्ति अपना रिटर्न दाखिल करने में विफल रहता है, तो उसके द्वारा प्राप्त इनपुट टैक्स क्रेडिट की अनुमति नहीं दी जाएगी।

6. Arrest: धोखाधड़ी और इरादतन कर चोरी के मामले में, व्यक्ति को जीएसटी अधिनियम के अनुसार गिरफ्तार किया जा सकता है।

जुर्माने से बचने और GST कानूनों और विनियमों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए व्यवसाय के लिए समय पर GST रिटर्न दाखिल करना महत्वपूर्ण है।

 

GST रिटर्न फाइल करने के 5 आसान टिप्स

1. सुनिश्चित करें कि सभी चालान और क्रेडिट/डेबिट नोट खातों में सही ढंग से दर्ज किए गए हैं।

2. खामीयां और विसंगतियों से बचने के लिए दाखिल करने से पहले जीएसटी रिटर्न फॉर्म के विवरण को चेक करें।

3. सभी सहायक दस्तावेज, जैसे चालान और रसीदें, रिटर्न के साथ जमा करने के लिए तैयार रखें।

4. सटीक और त्रुटि मुक्त फाइलिंग के लिए रिटर्न जेनरेट करने और फाइल करने के लिए जीएसटी अनुपालन सॉफ्टवेयर का उपयोग करें।

5. पेनल्टी और ब्याज शुल्क से बचने के लिए नियत तारीख से पहले रिटर्न फाइल करें।

जीएसटी रिटर्न के को दाखिल करने के क्या लाभ हैं?

जीएसटी रिटर्न दाखिल करने के कई फायदे हैं

1. Compliance with tax laws: जीएसटी रिटर्न दाखिल करना कर कानूनों का अनुपालन सुनिश्चित करता है और जुर्माने और कानूनी कार्रवाई से बचने में मदद करता है।

2. Claiming input tax credit: व्यवसाय अपने इनपुट और इनपुट सेवाओं पर भुगतान किए गए जीएसटी पर इनपुट टैक्स क्रेडिट का दावा कर सकते हैं, जिससे उनकी कुल कर देनदारी में कमी आ सकती है।

3. Maintaining records: जीएसटी रिटर्न दाखिल करने से व्यवसायों को उनकी बिक्री और खरीद का सटीक रिकॉर्ड बनाए रखने में मदद मिलती है, जो वित्तीय योजना और निर्णय लेने के लिए उपयोगी हो सकता है।

4. Eligibility for certain benefits: नियमित रूप से और समय पर जीएसटी रिटर्न दाखिल करने से व्यवसाय कुछ लाभों के लिए पात्र हो सकता है, जैसे विलंब शुल्क या ब्याज शुल्क में कमी।

5. Maintaining good standing: जीएसटी रिटर्न नियमित रूप से और समय पर दाखिल करने से व्यवसायों को कर अधिकारियों के साथ एक अच्छी स्थिति बनाए रखने में मदद मिल सकती है, जो लंबे समय में फायदेमंद हो सकती है।

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